tag:blogger.com,1999:blog-2691351730929467044.post2227090777403821521..comments2023-09-06T03:37:52.726-07:00Comments on धरातल ...: आज हमने दिल को समझाया..कि हमने क्या खोया और क्या पाया Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/05233713494374238729noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2691351730929467044.post-8041632536478906212014-06-12T06:59:52.208-07:002014-06-12T06:59:52.208-07:00आपसे सहमति है ...मेरा यह लेख भी कुछ उसी अंदाज में ...आपसे सहमति है ...मेरा यह लेख भी कुछ उसी अंदाज में लिखा गया हैं। आपकी टिप्पड़ी मेरे लिए मार्गदर्शन का ही काम करेगी। बाकी प्रयास वाली बात बेहतर हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05233713494374238729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2691351730929467044.post-22425046522265294822014-06-11T19:30:49.908-07:002014-06-11T19:30:49.908-07:00सामान्य मुद्दों से हटकर कुछ अलग पढ़ने की चाह ऐसे ले...सामान्य मुद्दों से हटकर कुछ अलग पढ़ने की चाह ऐसे लेखो की ओर बरबस अपना ध्यान खीच लेती हैं. जिस सामाजिक सच, बदलाव, अनुभति सहित तमाम मानवीय संवेदनाओ की बात आप कर रहे हैं बहुत हद तक किसी सम्बन्ध का प्रारंभ और अंत बिंदु इन सबको समेटे रहता हैं. व्यक्तिगत अनुभव हैं कि अतीत और वर्तमान पर गहरी नजर डालने के बाद बदलने की तमाम बाते परिस्थितिजन्य होती हैं. अनेक प्रयासों के बाद भी बदलाव की गहरी चाहतो के बावजूद चीज़े उलझ जाती हैं. हालाकि प्रयास करते रहना चाहिए.<br />उपरोक्त बातें लिखते समय क्या लिख रहा हूँ, इस बात का विशेष भान नहीं हो पाया. शायद कुछ मन में था जो स्वतः निकल गया.इसलिए इसे सहज रूप में ही ले, इस आधार पर मेरे विचारों के विषय में कोई निष्कर्ष ना निकाले. क्योकि मुझे खुद लग रहा हैं कि मैंने बातें अधूरी कह कर छोड़ दी. खैर इसी तरह संवेदनाओं की जोरदार प्रस्तुति करते रहिये.शुभकामनाएं...मणेन्द्र कुमार मिश्रा "मशाल"https://www.blogger.com/profile/04039700404081336593noreply@blogger.com